हिमाचल की राजनैतिक स्थिति के बाद करें तो सन् 1977 तक यहां कांग्रेस का ही शासन था। सन् 1977 में जनता पार्टी की लहर में यहां सत्ता परिवर्तन हुआ और शांता कुमार मुख्यमंत्री बने। सन् 1990 में यहां भाजपा की ओर से शांता कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। तब से लेकर आज तक यहां हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन होता रहता है। सन् 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पटखनी देकर भाजपा सत्ता में आयी और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने। 68 सीटों वाली विधानसभा में 44 सीट भाजपा के पास हैं जबकि 21 सीटों के साथ कांग्रेस विपक्ष में है। राज्य में लोकसभा की 4 सीटें हैं और चारों भाजपा के कब्जे में हैं। राज्य की 3 राज्यसभा सीटों में से 2 कांग्रेस के पास जबकि 1 भाजपा के पास है। राज्य में भाजपा और कांग्रेस की अच्छी पकड़ है। हिमाचल में तीसरा विकल्प फिलहाल कोई नहीं है।
हिमाचल के चुनावी मुद्दों की बात करें तो यहां अभी भी लोगों तक मूलभूत सुविधायें नहीं पहुंच सकी हैं जिसमें स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी और शिक्षा शामिल है। लोगों तक यह सुविधायें पहुंचाने में सरकार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि यह राज्य पहाड़ियों के बीच में बसा हुआ है। इसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में यहां के लोगों को एक क्रांति की उम्मीद रहती है क्योंकि पर्यटन के भरोसे ही इस राज्य की अर्थव्यवस्था है।