261 ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक ने जिस प्राचीन राष्ट्र कलिंग पर आक्रमण किया था आज हम उसे ओडिशा के नाम से जानते हैं। हालांकि 1 अप्रैल 1936 को ओडिशा को खुद की पहचान मिली और इस दौरान यहां पर मौजूद अधिकांश व्यक्ति उडियाभाषी थे और यही वजह रही कि 1 अप्रैल को प्रदेश में उत्कल दिवस मनाया जाता है। इसे ओडिशा दिवस भी कहते हैं।
ओडिशा की जनसंख्या पर नजर डाली जाए तो 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक प्रदेश में कुल 4 करोड़ 20 लाख के आस-पास लोग रहते हैं, जिसका 40 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति एवं जनजाति का है। अगर हम प्रदेश के विकास दर पर नजर डालें तो सामने आता है कि बाकी के राज्यों की तुलना में यहां की विकास दर बेहद खराब स्थिति में है। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर है जोकि भारत के अत्याधुनिक शहरों में से एक है, जहां पर हिंदुओं की आस्था के भव्य प्रतीक के तौर पर भगवान श्री जगन्नाथ विराजमान हैं एवं यह शहर उनके मंदिर एवं हर वर्ष होने वाली रथयात्रा के लिए सुप्रसिद्ध है।
ओडिशा की कृषि व्यवस्था
प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है, जहां की 80 फीसदी जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी हुई है। हालांकि यहां की अधिकत्तर जमीन उपजाऊ नहीं है, अगर है भी तो सालभर में एक से अधिक फसल नहीं उगाई जा सकती है। इसके बावजूद यहां चावल की खेती पर्याप्त मात्रा में होती है जो की यहां की मुख्य फसल भी है।