एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में ओडिशा राज्य 1 अप्रैल 1936 को अस्तित्व में आया। देश की आजादी से पहले ब्रिटिश शासन के तहत ओडिशा बंगाल प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था। 1 अप्रैल 1936 को तीन सदियों के लंबे संघर्ष के बाद बंगाल राज्य बिहार से अलग हुआ। तब से 1 अप्रैल को ओडिशा का स्थापना दिवस मनाया जाता है। क्योंकि 1 अप्रैल को मद्रास प्रेसीडेंसी के कुछ हिस्सों को अलग-अलग राज्यों में विभाजित कर दिया गया था। आजादी के बाद नई नवेली भारत सरकार को ओडिशा और आसपास की रियासतों ने अपनी सत्ता सौंप दी थी। एक अलग ब्रिटिश भारत प्रांत के रूप में ओडिशा राज्य की स्थापना की गई थी।
जातीय समीकरण
वर्तमान में ओडिशा राज्य में 30 जिले हैं। क्षेत्रफल के अनुसार यह देश का 8वां और जनसंख्या के अनुसार 11वां सबसे बड़ा राज्य है। वहीं आदिवासियों की जनसंख्या के मामले में यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। बता दें कि 1135 से लेकर साल 1948 तक ओडिशा की राजधानी कटक थी। बाद में भुवनेश्वर को ओडिशा की राजधानी बनाया गया। 9 नवंबर 2010 को भारतीय संसद द्वारा उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा रख दिया गया। इस भगवान जगन्नाथ की भूमि भी कहा जाता है। ओडिशा की वर्तमान जनसंख्या की बात करें तो साल 2023 में राज्य की अनुमानित जनसंख्या 47,099,270 है। जिनमें पुरुषों की जनसंख्या 23,799,530 और महिलाओं की जनसंख्या 23,299,740 है। प्रदेश की 94 प्रतिशत आबादी हिंदू है। वहीं 2 फीसदी आबादी मुस्लिम और 3 फीसदी आबादी ईसाई है।