पंजाब कृषि प्रधान प्रदेश होने के अलावा सेना में भी बड़ी भूमिका निभाता है क्योंकि यहाँ के अधिकांश युवा सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पंजाब को प्रशासनिक उद्देश्य से 22 जिलों में बांटा गया है। लुधियाना, जालंधर पंजाब के औद्योगिक शहर हैं तो अमृतसर आस्था का केंद्र है। पंजाब में उद्योगों ने खासतौर पर शिक्षा उद्योग ने अपना पैर बखूबी पसारा है। इतिहास की बात करें तो पंजाब विस्तृत भारत ईरान का हिस्सा रहा है। पंजाब में गुलाम, खिलजी, तुगलक और मुगल वंशों का शासन रहा है। पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी में पंजाब के इतिहास ने एक अलग मोड़ लिया। गुरुनानक देव जी के नेतृत्व में यहां भक्ति आंदोलन ने जोर पकडा। उसके बाद उन्होंने पंजाब ने सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए काफी संघर्ष किया। महाराजा रणजीत सिंह ने पंजाब को सिख साम्राज्य में बदल दिया। सन् 1849 में रणजीत सिंह के निधन के बाद ही पंजाब ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी पंजाब का एक अहम योगदान रहा है। अविभाजित पंजाब का लाहौर शहर स्वतंत्रता आंदोलनकारियों के लिए एक बड़ा केंद्र हुआ करता था।
पंजाब में मुख्यतः सिख धर्म का पालन करने वाले लोग रहते हैं। हिंदू, इस्लाम और ईसाई धर्म का पालन करने वाले लोग भी यहां हैं। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 27,704,236 है। पंजाब आजादी के समय से ही राजनीति का केंद्र रहा है। शुरूआत में यहां कांग्रेस की ही सरकार हुआ करती थी। नये पंजाब के गठन के बाद सन् 1967 में अकाली दल का उदय हुआ। पंजाब में ज्यादातर शासन अकाली दल व कांग्रेस का ही रहा है। अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल वहां पर सर्वाधिक दफा मुख्यमंत्री बने हैं। वर्तमान में वहां कांग्रेस की सरकार है और कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री हैं। सन 2017 में हुए विधानसभा के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस 117 सीटों में से 78 सीट जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी जबकि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 20 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। सत्ता में रही एनडीए गठबंधन वाली अकाली दल सरकार बुरी तरह परास्त हुई। पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं जिसमें से 5 सत्ताधारी कांग्रेस के कब्जे में हैं और 4 आम आदमी पार्टी के पास हैं। मोदी लहर के बावजूद भी सन् 2014 में भाजपा को सिर्फ 2 सीटें ही मिल पाई थीं जबकि उसके सहयोगी अकाली दल के खाते में 4 सीटें गई थी। पंजाब में राज्यसभा के 7 सीटें हैं जिसमें से तीन-तीन कांग्रेस और अकाली दल के पास हैं जबकि एक सीट भाजपा के पास है।