तेजस्वी का बिहार में बड़ा चुनावी वादा: पंचायती राज को दोगुना भत्ता, ₹50 लाख बीमा, पेंशन

राजद नेता तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव से पहले पंचायती राज प्रतिनिधियों के लिए भत्ते दोगुने करने, 50 लाख रुपये के बीमा और पेंशन का बड़ा वादा किया है। यह घोषणा ग्रामीण मतदाताओं को साधने तथा पीडीएस वितरकों व कारीगरों को भी आर्थिक लाभ पहुंचाने की एक सोची-समझी चुनावी रणनीति प्रतीत होती है।
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए राजनैतिक जंग शुरु हो चुकी है। हर एक पार्टियां चुनावी रण को जीतने के लिए एड़ी-चोटी का बल लगा रही हैं। इस बीच, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और आगामी बिहार चुनावों के लिए इंडिया ब्लॉक के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने रविवार को कहा कि अगर गठबंधन सत्ता में आता है तो राज्य की पंचायती राज व्यवस्था के प्रतिनिधियों के भत्ते दोगुने कर दिए जाएंगे। तेजस्वी यादव ने उनके लिए 50 लाख रुपये का बीमा कवर और पेंशन की भी घोषणा की। इस सप्ताह की शुरुआत में तेजस्वी यादव को बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था, और राजद उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ रहा है।
क्या कहा तेजस्वी यादव ने
तेजस्वी यादव ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आती है, तो बिहार के पंचायती राज व्यवस्था के प्रतिनिधियों के मासिक भत्ते दोगुने कर दिए जाएंगे। पीटीआई समाचार एजेंसी ने तेजस्वी यादव के हवाले से कहा, "हम राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के वितरकों की प्रति क्विंटल मार्जिन मनी में भी उल्लेखनीय वृद्धि करेंगे।" बिहार में पीडीएस वितरकों को वर्तमान में ₹258.40 प्रति क्विंटल कमीशन मिलता है। उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा, हम राज्य में नाइयों, मिट्टी के बर्तन बनाने वालों और बढ़ईयों को ₹5 लाख का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करेंगे।"
बिहार की पंचायती राज व्यवस्था
बात करें बिहार में पंचायती राज व्यवस्था तीन स्तरों - ज़िला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत - के माध्यम से संचालित होती है। इनके निर्वाचित मुखिया क्रमशः 'अध्यक्ष' (ज़िला परिषद), 'प्रमुख' (पंचायत समिति) और 'मुखिया' (ग्राम पंचायत) कहलाते हैं।
जून में, नीतीश कुमार सरकार ने राज्य भर में पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारियों और वार्ड सदस्यों के भत्ते और अन्य लाभों में वृद्धि की थी। ज़िला परिषद अध्यक्षों का मासिक भत्ता ₹20,000 से बढ़ाकर ₹30,000, उपाध्यक्षों का ₹10,000 से बढ़ाकर ₹20,000 और मुखियाओं का ₹5,000 से बढ़ाकर ₹7,500 कर दिया गया था।
वर्तमान में, बिहार में 8,053 ग्राम पंचायतें, 533 पंचायत समितियां और 38 ज़िला परिषदें कार्यरत हैं। अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक ग्राम पंचायत ग्रामीण निवासियों के दरवाजे पर न्याय उपलब्ध कराने के लिए 'ग्राम कचहरी' की भी स्थापना करती है।



