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झारखंड

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तीखे बयान

  • जनसंख्या: 20326743
  • पुरुष: 9641594
  • महिला: 10685149
  • लोकसभा सीटें: 14
  • राजधानी: रांची
  • चरण-4 (मतदान दर) : 64.73
  • चरण-5 (मतदान दर) : 65.12
  • चरण-6 (मतदान दर) : 64.50
  • चरण-7 (मतदान दर) : 71.16

15 नवम्बर 2000 को झारखण्ड के स्थापित होने के बाद बाबूलाल मरांडी उसके पहले मुख्यमंत्री बने। राजनीतिक गुटबाजी, अस्थिरता और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण यहां समय-समय पर मुख्यमंत्रियों का बदलाव होता रहा है। अब तक झारखण्ड में 10 बार नई सरकारों का अलग-अलग समय पर गठन हुआ है जबकि 3 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। यहां मुख्य रूप से भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकारें रही हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा को कांग्रेस का समर्थन रहा है। भाजपा की तरफ से बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री रहे हैं तो झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन सीएम रहे हैं। वर्तमान में वहां रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार है। झारखण्ड में अब तक कोई भी सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाई है।

किस पार्टी का कितना दम

झारखण्ड में लोकसभा की 14 सीटें हैं जिनमें से 10 पर भाजपा का कब्जा है। 2 सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। शिबू सोरेन खुद दुमका से सांसद हैं। झारखण्ड में राज्यसभा की 6 सीटें हैं। भाजपा के पास 3 सीटें, कांग्रेस के पास एक, राजद के पास भी एक और एक सीट निर्दलीय के पास है। राज्य में विधानसभा की 82 सीटें हैं। वर्तमान में भाजपा और उसकी सहयोगी आजसू के पास क्रमश: 43 और 4 सीटें हैं। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास 19, कांग्रेस के पास 9, जेवीएम के पास 2, बसपा के पास 1, वामदल के पास भी 1 और अन्य के खाते में 2 सीटें हैं। एक विधायक मनोनीत किया जाता है।

वर्तमान राजनीतिक स्थिति

देखा जाए तो गठन के बाद से ही इस राज्य में भाजपा का बोलबाला रहा है। यह अलग बात है कि भाजपा की आंतरिक गुटबाजी से वहां विपक्ष को फायदा पहुंचता रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा शुरू से ही दूसरे नंबर की पार्टी रही है। भाजपा के खिलाफ झारखंड मुक्ति मोर्चा को कांग्रेस, राजद और अन्य पार्टियों का सहयोग मिलता रहा है। भाजपा से बगावत कर बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया पर उसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला। झारखंड में राजद, जदयू और वामदल का भी अच्छा प्रभाव रहता है।

सामाजिक समीकरण

झारखण्ड में जातीय और सामाजिक समीकरण की बात की जाए तो यहां आदिवासियों का अच्छा प्रभाव है। झारखंड में 67.8% हिन्दू हैं जबकि 15% के आसपास मुसलमानों की आबादी है। Sarnaism 12.8% है और इसाई लगभग 5% हैं। वोट प्रतिशत के हिसाब से देखें तो इस राज्य में आदिवासी आबादी 26.3% है। झारखंड की लगभग 40.5% आबादी ओबीसी है। अनुसूचित जाति की जनसंख्या का 11.8% है। जो पार्टी आदिवासियों को साधने में कामयाब जो जाती है वही पार्टी इस राज्य में श्रेष्ठ हो जाती है। खास बात यह भी है कि इस राज्य के अब तक के सारे सीएम आदिवासी समाज से ही बने हैं। 

झारखंड में चुनावी मुद्दे

उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के साथ ही झारखंड की स्थापना हुई थी। स्थिर सरकार होने की वजह से उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ विकास के मामले में झारखंड से बहुत आगे हैं। खनिज संपन्न राज्य होने के बाद भी झारखंड में विकास नहीं हो पाया है। कहते हैं कि झारखंड की कोख में अमीरी है और गोद में गरीबी है। विस्थापन, भूमि-अधिग्रहण, बेरोजगारी, जल-जंगल-जमीन पर अधिकार, जनजातीय भाषा-संस्कृति की रक्षा जैसे मुद्दे झारखंड में हमेशा चरम पर रहे हैं। वन और पठारी बहुल क्षेत्र होने के कारण यहां अब भी सड़क, बिजली, पानी और रेलमार्ग जैसी सुविधाओं को हर जगह पहुंचा पाना एक बड़ी चुनौती है। शिक्षा के क्षेत्र में राज्य अब भी बहुत पीछे है। राज्य की सबसे बड़ी चुनौती आदिवासियों को मुख्य धारा में लाना है। इसके अलावा यहां के प्रत्येक वर्ग के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना भी एक गंभीर चुनौती है। राज्य में गरीबी और भुखमरी एक बड़ी समस्या है। आपने गैंग ऑफ वासेपुर देखी होगी, इस फिल्म में दिखाए गए गैंगों जैसे और भी ऐसे गैंग राज्य में सक्रिय हैं जो राज्य की खनिज संपदा को लूटने में लगे हैं। इसके अलावा राज्य में गैंग वार भी हावी है। ये गैंग राज्य की कानून व्यवस्था की पोल खोलते रहते हैं। राज्य का पुलिस प्रसाशन अब भी आम लोगों से दूर है। राज्य नक्सल समस्या की चपेट में है और इससे उबरना एक बड़ी चुनौती है।

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छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित झारखण्ड भारत के पूर्वी क्षेत्र में है। 2000 में बिहार के दक्षिणी हिस्से को विभाजित कर इस राज्य का गठन किया गया। रांची झारखण्ड की राजधानी है। झारखण्ड मुख्य रूप से खनिजों का प्रदेश है। लोहा, कोयला, माइका, बाक्साइट, फायर-क्ले, ग्रेफाइट, कायनाइट, सेलीमाइट, चूना पत्थर, युरेनियम और दूसरी खनिज यहां प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। झारखण्ड की आबादी लगभग 32,988,134 है। झारखण्ड को 5 प्रमंडलों में बांटा गया है। यहां 24 जिले हैं। धनबाद, बोकारो, हजारीबाग एवं जमशेदपुर यहां की औद्योगिक नगरी हैं। राज्य का ज्यादा हिस्सा वन क्षेत्र है।

ऐतिहासिक झारखण्ड

झारखण्ड का इतिहास काफी पुराना है। हज़ारीबाग में लगभग 5000 साल पुराना गुफा चित्र मिला है। इसके अलावा यहां पुराने लोहे के औज़ार और मिट्टी के बर्तन भी मिलते हैं। झारखण्ड मगध का हिस्सा रहा है जिस पर मौर्य साम्राज्य शासन रहा है। ईस्ट इण्डिया कम्पनी का कोलकाता में आने के बाद इस इलाके में अंग्रेजों का अच्छा प्रभाव रहा। सीधे-साधे आदिवासियों पर अंग्रेजों ने खूब अत्याचार किए। यही....

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