इन दिनों बीजेपी के निशाने पर परोक्ष रूप से बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव हैं। हालांकि तेजस्वी यादव ने ही बीजेपी को मुद्दा भी दिया है। बता दें कि मामला रेल में जमीन के बदले नौकरी वाले केस का। बिहार की राज्य सरकार को घेरने के लिए इससे बड़ा मुद्दा और क्या हो सकता है। वहीं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का यह मामला काफी पुराना है। लेकिन तब से अब तक बीजेपी चुप रही। लेकिन तेजस्वी की ताजपोशी होते ही बीजेपी हमलावर हो गई। तेजस्वी यादव का कहना भी सही है कि यह विरोध सिर्फ विरोध के लिए है। बल्कि सच्चाई तो यह है कि बीजेपी के निशाने पर तेजस्वी यादव नहीं बल्कि कोई और है।
बीजेपी के निशान पर ये नेता
बिहार विधानसभा में लैंड फॉर जॉब मामले में भाजपा ने तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा किया और कुर्सियां पटकी गईं। 'लैंड फॉर जॉब' केस में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल करते समय तेजस्वी यादव के नाम को आरोपी के तौर पर शामिल किया और उनसे इस्तीफे की मांग की जाने लगी। लेकिन भाजपा का असली निशाना तो सीएम नीतीश की करप्शन यानी की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पर है।
भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार एक चार्जशीटेड नेता को अपने बगल में बैठाकर घुमा रहे हैं। वैसे तो सीएम नीतीश आदर्शों और सिद्धांतों की बहुत दुहाई देते फिरते हैं। इससे पहले भी राज्य में ऐसे मामलों पर कई नेताओं का इस्तीफा एक दिन में हो गया। फिर अब क्या मजबूरी आ गई कि नीतीश कुमार अपने साथ- साथ तेजस्वी यादव को लेकर घूम रहे हैं और उनका इस्तीफा नहीं ले पा रहे हैं।
जानिए क्या बोले तेजस्वी
वहीं तेजस्वी यादव ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है। उनका आरोप है कि चार्जशीट में उनका नाम जानकर दिया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा तो वाशिंग मशीन है, जो हर तरह के करप्शन के आरोपियों का माला पहनाकर गले से लगा रही है। क्या उन्हें वहां पर भ्रष्टाचार नहीं दिखाई दे रहा है। वहीं बिहार की राजनीति में बीजेपी के निशाने पर सीएम नीतीश हैं। बीजेपी जानती है कि नीतीश की साख को धूमिल कर वह कामयाबी पा सकती है। इसी वजह से बीजेपी ने रेल में नौकरी के बदले जमीन मामले में नीतीश के सुशासन पर हमला किया है।
बता दें कि कुछ समय पहले पूर्व कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह पर वारंट की जानकारी सामने आते ही उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था। उसके पहले सीएम नीतीश जीतन राम मांझी का भी इस्तीफा ले चुके हैं। लेकिन सीएम नीतीश इस समय कोई सियासी मुद्दा खड़ा नहीं करना चाहते हैं। हालांकि ऐसा करने वाले नीतीश कुमार अकेले नहीं है। इससे पहले महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल और छगन भजबल अभी भी मंत्री बने हुए हैं। वहीं दिल्ली में भी सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया ने काफी समय बाद अपना इस्तीफा सौंपा था।