भाजपा ने इस साल असम, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में हुए विधानसभा चुनावों में खूब पैसे खर्च किए। भाजपा ने 252 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें से लगभग 60 प्रतिशत का इस्तेमाल तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य में प्रचार के लिए किया गया।
भाजपा की ओर से चुनाव आयोग को सौंपे गए खर्च के ब्योरे के अनुसार, भाजपा ने इन पाँच राज्यों में चुनाव प्रचार करने के लिए 252,02,71,753 रुपये खर्च किए। इसमें से 43.81 करोड़ रुपये असम चुनाव के लिए और 4.79 करोड़ रुपये पुडुचेरी विधानसभा चुनाव के लिए खर्च किए गए। तमिलनाडु में 22.97 करोड़ रूपए खर्च किए गए। इस राज्य में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) को हराकर सत्ता हासिल की। भाजपा को सिर्फ 2.6 प्रतिशत वोट मिले। भाजपा ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अपने अभियान में पूरी ताकत झोंक दी। पार्टी ने राज्य में 151 करोड़ रुपये खर्च किए। केरल में भाजपा ने 29.24 करोड़ रूपए खर्च किए लेकिन यहाँ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) अपनी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही। राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए चुनावी खर्च के ब्योरे को निर्वाचन आयोग ने सार्वजनिक किया है।
चुनाव आयोग को प्रस्तुत राजनीतिक दलों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के फैक्टचेकर के विश्लेषण से पता चलता है कि 2015 और 2020 के बीच, सात राष्ट्रीय दलों और 11 क्षेत्रीय दलों सहित 18 राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों पर 6,500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। इसमें से राजनीतिक दलों ने अकेले प्रचार पर 3,400 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए। इन सात राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस शामिल हैं। जबकि क्षेत्रीय दलों में आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन, जनता दल यूनाइटेड, जनता दल सेक्युलर, अकाली दल, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, शिवसेना, लोक जनशक्ति पार्टी, युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल शामिल हैं।