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Rajasthan News: कोटा में बच्चों की आत्महत्या पर बोले CM गहलोत ने व्यक्त की चिंता, कहा- IITian बन गया खुदा तो नहीं

By LSChunav | Aug 19, 2023

राजस्थान के कोटा जिले में डॉक्टर-इंजीनियर बनने का सपना लेकर आए 21 बच्चों ने आत्महत्या कर ली। बीते 8 महीने में 21 बच्चों ने अपनी जान दे दी। जिसके बाद बीते शुक्रवार को सीएम अशोक गहलोत ने कोटा में छात्रों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की। इसके साथ ही सीएम गहलोत ने कोटा के कोचिंग संचालकों को फटकार भी लगाई। मुख्यमंत्री ने इन्हें रोके जाने के लिए सुझाव देने के लिए एक कमेटी बनाने का आदेश दिया।  

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि कमेटी में कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधि, माता-पिता और डॉक्टर समेत सभी हितधारकों को शामिल किया गया। जिसके बाद 15 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। सीएम गहलोत ने कोचिंग हब कोटा में आईआईटी और नीट उम्मीदवारों के बीच आत्महत्या के मामलों पर एक समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि कक्षा 9-10 में पढ़ने वाले छात्रों पर अधिक बोझ पड़ता है।

स्कूल में डमी क्लास
उन्होंने कोचिंग इंस्टीट्यूट के प्रबंधकों के साथ मीटिंग में कहा कि वह कोटा के बच्चों को इस तरह से मरते हुए नहीं देख सकते हैं। इसलिए सिस्टम में सुधारिए। वहां स्कूल में नौवीं पास बच्चों का एडमिशन दिखाते हैं, क्लास में डमी लगती है। सीएम ने कहा कि स्कूल और कोचिंग दोनों साथ में करता है। मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि आईआईटियन बन गया बच्चा तो कोई खुदा नहीं बन गया।

बच्चों पर बढ़ता है बोझ
सीएम ने कहा कि कक्षा नौ और 10 के छात्रों का कोचिंग संस्थानों में नामांकन करने से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। क्योंकि उनको बोर्ड की परीक्षा देनी होती है। उन्होंने कहा कि 9-10वीं कक्षा के बच्चों को आप बुलाते हैं। ऐसे में आप अपराध करते हैं। ऐसा लगता है जैसे आईआईटियन न हो खुदा हो। क्योंकि कोचिंग आते ही बच्चों का फर्जी स्कूल में एडमिशन करा दिया जाता है। इसमें अभिभावकों की भी गलती है।

इसके साथ मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि शहर में एलन कोचिंग संस्थान से सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले क्यों सामने आए हैं। सीएम को बताया गया कि कोटा में इस साल में आत्महत्या कर मरने वाले 21 छात्रों में से 14 बच्चे एलन कोचिंग संस्थान के हैं। बैठक में संस्थान के एक प्रतिनिध ने बताया कि कक्षा नौ या 10 के छात्रों को कोचिंग संस्थान नहीं बुलाते हैं। लेकिन अभिभावक बच्चों को बेहतर ऑप्शन देना चाहते हैं। इस पर सीएम ने कहा कि वह किसी एक संस्थान को निशाना बनाकर नहीं कह रहे हैं। बल्कि वह कारण जानना चाहते हैं कि संस्थान में सबसे ज्यादा आत्महत्या क्यों होती हैं।
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