अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके जगह पर दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री आतिशी बनी है। लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनते ही लोग उनकी जाति और जीवनी खंगालने लेग। हालांकि, दिल्ली की नई महिला सीएम आतिशी अपने नाम आतिशी से ही फेमस है लेकिन राजनीति में आने के बाद उनके नाम के साथ लगे मार्लेना को लेकर काफी चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।
मनीष सिसौदिया ने बताया था क्षत्राणी
आतिशी मार्लेना की जाति का मुद्दा एक बार पहले भी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उठ चुका है। उस दौरान कांग्रेस और बीजेपी ने उन पर वोटरों को बरगलाने के लिए 'मार्लेमा' सरनेम हटाने का आरोप लगा था। जिसके बाद मनीष सिसौदिया ने ट्वीट किया कि बीजेपी और कांग्रेस के लोगों! ध्यान रखना कि उनका पूरा नाम आतिशी सिंह है। वह एक राजपूतानी हैं। एक कट्टर क्षत्राणी .... झांसी रानी। और वह जीतेगी और इतिहास रचेगी इतिहास। आतिशी जब साल 2019 में पूर्वी दिल्ली के बीजेपी उम्मीदवार गौतम गंभीर के मुकाबले में उतरी आतिशी ने अपने एफिडेविट में मार्लेना सरनेम यूज किया था। वहीं, साल 2020 के विधानसभा चुनाव में वह पूरे नाम के साथ उतरीं, मगर उनका सरनेम सिंह गायब था।
मार्क्स और लेनिन के नाम से बनीं मार्लेना
रिपोर्टस के मुताबिक, दिल्ली की नई सीएम आतिशी के माता-पिता दोनों प्रोफेसर रहे हैं। उनके पिता विजय सिंह कट्टर कम्युनिस्ट थे। उन्होंने जाति और धर्म की पहचान का विरोध करते हुए आतिशी के नाम के साथ मार्लेना जोड़ दिया। यह उनका सेकेंड नेम था, सरनेम नहीं। मार्लेना में कार्ल मार्क्स और व्लादिमीर लेनिन के उपनाम मिले हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में आतिशी पर पंजाबी पहचान के आधार पर वोट मांगने के आरोप लगे। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कालकाजी में 30 फीसदी वोटर पंजाबी हैं, इसलिए आतिशी धर्म के आधार पर वोट मांग रही हैं। इन आरोपों का आतिशी ने खंडन किया। उन्होंने कहा कि मैंने कभी वोट नहीं मांगा कि मैं पंजाबी हूं।