रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर कभी आजम खां और उनके परिवार का दबदबा रहता था। लेकिन इस बार होने वाले उपचुनाव में न तो आजम खां के परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में हैं और न ही नवाब परिवार से कोई चुनाव में उतरा है। बता दें कि स्वार विधानसभा सीट नवाब परिवार का बहुत लंबे समय तक दबदबा रहा है। जिसके बाद इस सीट पर आजम खां के परिवार का दबदबा हो गया। इस बार के चुनाव में इन दोनों ही परिवारों का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है।
स्थानीय है सारे प्रत्याशी
रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में सारे प्रत्याशी स्थानीय है। इस चुनाव का मुद्दा भी स्थानीय विधायक है। अब तक स्वार सीट पर जितने भी चुनाव हैं। उनमें कुछ चुनावों को छोड़ दिया जाए तो यहां पर घरानों की राजनीति हावी रही है। नवाब परिवार इसे अपनी पारंपरिक सीट मानता है। नवाब परिवार ने अपने कई समर्थकों को भी विधायक बनाया है। जिसके बाद आजम खां के परिवार का इस सीट से दबदबा हो गया। बता दें कि साल 2017 और 2022 के चुनाव में आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम ने जीती थी। हालांकि दोनों बार अब्दुल्ला की विधायकी चली गई थी।
दो बार निरस्त हुई अब्दुल्ला की विधायकी
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर नवाब परिवार के हैदर अली खान और आजम खां पुत्र अब्दुल्ला आजम के बीच टक्कर हुई थी। जिसमें अब्दुल्ला आजम ने जीत दर्ज की थी। उपचुनाव में हैदर अली खान अपना दल (एस) टिकट के दावेदार थे। लेकिन पार्टी ने उनपर भरोसा नहीं जताया। वहीं आजम खां के परिवार का कोई भी सदस्य चुनावी मैदान में नहीं उतरा है। तीन साल के अंदर अब्दुल्ला आजम की दो बार विधायकी निरस्त हुई है।
25 साल से कम थी उम्र
इस दौरान अब्दुल्ला आजम पर आरोप लगाया गया था कि चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते वक्त अब्दुल्ला की उम्र 25 साल से कम थी। जिसके बाद साल 2019 में हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला के निर्वाचल को रद्द कर दिया था। इसके बाद अब्दुल्ला आजम ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी अब्दुल्ला की याचिका को खारिच कर दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को बहाल रखा था।