तेलंगाना, मध्यप्रदेश समेत 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के मतदान में अब 15 दिन से भी कम का समय बचा है। लेकिन इस बार महंगाई ने जनता की कमर को तोड़ के रखा है। हांलाकि कांग्रेस पार्टी प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर सक्रिय जरूर है। बता दें कि जिन राज्यों में बीजेपी विपक्ष में है, वहां पर बीजेपी के बड़े नेता महंगाई पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। क्योंकि इसकी मुख्य वजह केंद्र में उनकी पार्टी के सरकार का होना होना है।
आमतौर पर केंद्र सरकार को ही महंगाई के लिए जिम्मेदार माना जाता रहा है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो साल 1990 के बाद से चुनावों में महंगाई का मुद्दा काफी अहम रहा है। महंगाई ने साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी और साल 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी। वहीं कई राज्यों की सरकार भी महंगाई के कारण अपदस्थ हो गई है।
महंगाई के मामले में तेलंगाना दूसरे नंबर पर
महंगाई दर के मामले में तेलंगाना राज्य दूसरे नंबर पर है। राज्य में महंगाई की दर करीब 8.3 फीसदी है। तेलंगाना में जनता ने महंगाई के मुद्दे को काफी अहम बताया है। इसके अलावा राज्य में मुद्रास्फीति की परेशानी नई नहीं है। वित्त वर्ष 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया था कि तेलंगाना ने 2021-22 में देश में सबसे ज्यादा मुद्रास्फीति दर दर्ज की है। इस सर्वेक्षण में कपड़ों और ईंधन पर मूल्य दबाव को जिम्मेदार ठहराया गया है।
पारंपरिक रूप से तेलंगाना में उच्च मुद्रास्फीति दर में भूमिका निभाता है। यह है कि सब्जियों की कीमतों में वार्षिक मौसमी उछाल। बता दें कि दक्षिणी राज्य टमाटर का प्रमुख उत्पादक है। इसी कारण से जुलाई 2023 में टमाटर की कीमत में आई तेजी से उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ा दी। इसके अलावा तेलंगाना सभी राज्यों में पेट्रोल और डीजल पर क्रमशः 35.20% और 27% का सबसे ज्यादा वैट लगाता है।