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External Affairs Minister: जानिए मोदी सरकार में कितनी बदली भारत की विदेश नीति, देश ने दिया कूटनीतिक कौशल का परिचय

By LSChunav | Mar 26, 2024

केंद्र की मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में विश्व पटल पर भारत को नए सिरे से स्थापित किया। भारत की कूटनीति को पीएम मोदी ने काफी प्रभावित किया है। मोदी सरकार का विदेश नीति पर खास फोकस रहा। अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर मोदी सरकार स्पष्ट नजरिए के साथ आगे बढ़ रही है। साल 2019 से शुरू हुए पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में एस. जयशंकर विदेश मंत्री के तौर पर देश-दुनिया में चर्चा का केंद्र रहा। हांलाकि पीएम मोदी ने अपने दोनों की कार्यकाल में अपने विदेशी दौरों से भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर जो छाप छोड़ी, वह इतिहास के पन्नों में सुनहरे शब्दों में वर्णित होगी।

पीएम मोदी की सरकार ने भारत की विदेश नीति को नए आयाम देने का काम किया है। उनकी सरकार ने उन देशों के साथ देश के रिश्तों को मजबूत करने का काम किया, जो अब तक अनछुए रहे। इसके अलावा उन ताकतवर देशों के साथ भी आंखों में आंखे मिलाकर बात की। मोदी सरकार ने विदेश नीति में कठोरता और उदारता दोनों का जबरदस्त सामंजस्य बैठाने का काम किया। जहां तक देश के सामरिक हितों की बात है, तो मोदी सरकार ने अपना अलग रास्ता अपनाया। पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक का मामला हो, या फिर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो। हर मसले पर भारत ने अपनी कूटनीतिक कौशल का परिचय दिया है।

मोदी की विशेष नीति
वर्तमान समय में विश्व की चुनौतियां अधिक हैं। चीन जहां बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है और उसका भारत को लेकर नजरिया भी आक्रामक रहा है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका पहले जितना ताकतवर नहीं रहा, जितना कि पहले होता था। ऐसे में भारत के लिए वर्तमान में जो चुनौतियां हैं, वह इतिहास में कभी नहीं रही। इसलिए पीएम मोदी की विदेश नीति में लचीलापन भी है और दूरदर्शिता भी है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान 22,000 से अधिक भारतीय छात्रों को विदेश सही-सलामत लाना हो, या फिर कतर में सजा पा चुके 8 भारतीय नौसैनिकों की रिहाई हो। मोदी सरकार कूटनीति में हर बार विजेता के रूप में उभरकर सामने आई। यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान भारत का रुख़ तटस्थ रहा। मोदी सरकार ने अमेरिका और रूस दोनों ही विरोधी देशों के साथ रिश्तों में निकटता बनाए रखी। यह मोदी सरकार की विदेश नीति का सबसे बड़ा कौशल था। वहीं रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने मतदान न कर अपने स्टैंड को अधिक मजबूत किया।

इसके अलावा भारत देश ने अमेरिकी दबाव से मुक्त होकर रूसी एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम ख़रीदे। इस मामले ने यह साबित कर दिया कि भारत अपने सामरिक संबंधों के मामले में स्वतंत्र है। भारत के इस फैसले का अमेरिका ने काफी विरोध किया। लेकिन भारत ने साबित कर दिया कि रक्षा सौदों के मामले में भारत अन्य किसी भी देश के दबाव में नहीं आएगा।

भारत के द्विपक्षीय संबंध कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, ओमान और कतर से आर्थिक दृष्टि से काफी मजबूत रहे हैं। बता दें कि भारत ने कुछ समय पहले संयुक्त अरब अमीरात के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया। भारत ने 50 अरब डालर के द्विपक्षीय व्यापार के लिए हस्ताक्षर किए हैं। खाड़ी देशों में भारत की सबसे ज्यादा कामकाजी आबादी भी रहती है। जो हर साल भारत देश को 70-80 अरब डालर के बीच रकम भेजती है।
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