महाराष्ट्र विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से मराठा समुदाय के लिए अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पारित कर दिया। राज्य सरकार ने राज्य विधानमंडल का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है। एकनाथ शिंदे की महायुति सरकार ने आज 10 प्रतिशत मराठा कोटा के लिए जिस विधेयक को मंजूरी दी है, वह तत्कालीन देवेंद्र फड़नवीस सरकार द्वारा पेश किए गए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 के समान है। बता दें कि, विधानसभा में पारित होने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण विधेयक को महाराष्ट्र विधान परिषद में पेश हो गया है। वहीं अब विधान परिषद में इस पर चर्चा होगी और फिर वोटिंग होगी।
विधेयक में क्या है?
महाराष्ट्र में सामाजिक और शैक्षणिक रुप से पिछड़ा विधेयक 2024 में प्रस्ताव दिया है कि आरक्षण लागू होने से 10 साल बाद इसकी समीक्षा भी होगी। विधेयक मे बताया गया है कि राज्य में मराठा समुदाय की कुल आबादी 28 प्रतिशत है। वहीं गरीबी रेखा वाले कुल मराठा परिवारों में से 21.22 प्रतिशत पीला राशन कार्ड है। सर्वेक्षण के मुताबिक, मराठा समुदाय के 84 फीसदी परिवार उन्नत श्रेणी में नहीं हैं। इसी कारण उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए और वहीं इस विधेयक में बताया गया है कि महाराष्ट्र में कुल आत्महत्या करने वाले किसानों में से 94 फीसदी मराठा परिवारों से है।
मनोज जरांगे नाराज नजर आए
बता दें कि, मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल सरकार से नाराजगी जताई। उनका कहना है कि यह फैसला चुनाव और वोटों को देखकर लिया गया है। मराठा समुदाय के साथ यह धोखा है। मराठा समुदाय आप पर कभी भरोसा नहीं करेंगा। हमारा फायदा तब होगा जब हमारी मूल मांगे सारी पूरी की जाएं। वहीं जरांगे मराठा आरक्षण को लेकर जालना जिले में अपने गांव में अनिश्चितकाल तक अनशन पर रहेंगे।