असम के साथ 150 साल पुराने सीमा विवाद के समाधान पर मिजोरम सरकार की तरफ से बातचीत शुरू करने की मांग की गई है। इस मांग को लेकर मिजोरम के गृहमंत्री लालचामलियाना ने बीते बुधवार को कहा कि फरवरी में असम को गांवों की सूची सहित उनकी सरकार ने राज्य की सीमा के संबंध में अपना दावा सौंप दिया है। बता दें कि राज्य के तीन जिले जिनमें कोलासिब, आइजोल और ममित असम राज्य के साथ 164.6 किमी लंबी सीमा को साझा करते हैं।
वहीं जुलाई 2021 में दोनों राज्य सीमा विवाद के बाद इस जटिल मुद्दे का समाधान खोजने के लिए बातचीत कर रहे हैं। जिसके बाद नवंबर 2022 में गुवाहाटी में हुई दोनों राज्यों की आखिरी बैठक में फैसला हुआ कि मिजोरम अपने दावे के समर्थन में 3 महीने के अंदर भू-स्थानिक सीमा, गांवों की लिस्ट, उनके क्षेत्र और लोगों की जातीयता और अन्य जानकारी सामने रखेगा। ताकि किसी समाधान पर पहुंचने के लिए असम और मिजोरम द्वारा क्षेत्रीय समितियों का गठन कर इस मामले की जांच की जा सके।
गृहमंत्री लालचामलियाना ने विधानसभा को जानकारी देते हुए बताया कि मिजोरम सरकार ने अपने गांवों, क्षेत्रों और उन क्षेत्रों के लोगों की जातीयता के बारे में अपना दावा पेश कर दिया है। उन्होंने बताया कि यह दावा 13 फरवरी को असम सरकार को सौंपा गया है। वहीं राज्य सरकार ने असम सरकार को पत्र लिख मामले पर स्पष्टीकरण किए जाने का अनुरोध किया है। अभी मिजोरम सरकार जवाब का इंतजार कर रही है।
सत्तारूढ़ एमएनएफ विधायक वनलालतनपुइया ने सीमा विवाद को लेकर सरकार से सवाल पूछे थे। जिस पर मंत्री लालचामलियाना ने बताया कि साल 2021 में हिंसा के बाद राज्य सरकार ने असम के साथ सीमा पर कई स्थाई और अस्थाईं चौकियों को स्थापित किया है। दोनों राज्यों के बीच अब तक सीमा विवाद का समाधान ढूंढने के लिए तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के बीच तीन आभासी मंत्री-स्तरीय बैठके किए जाने के साथ ही जिला प्रशासन स्तर पर तीन दौर की बैठक भी बुलाई गई हैं।
बता दें कि इससे पहले मंत्री लालचामलियाना ने पहले कहा था कि राज्य ने विवादित क्षेत्र के कम से कम 62 गांवों को अपनी सीमा के भीतर होने का दावा किया है। मंत्री ने कहा था कि साल 1875 से यह गांव बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन के तहत अधिसूचित इनर लाइन आरक्षित वन की सीमा के भीतर आते हैं। दोनों राज्यों के बीच चला आ रहा सीमा विवाद काफी लंबे समय से चला आ रहा है।