पंजाब के सिर पर 31 मार्च, 2022 तक 2.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है। वहीं कमाल की बात यह भी है कि इस कर्ज को कम करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। हांलाकि राहत के नाम पर सब्सिडी का बोझ खजाने पर लगातार बढ़ाया जा रहा है। बता दें कि सबसे पहले साल 1997 में किसानों को बिजली सब्सिडी दी जा रही थी।
लेकिन अब अन्य वर्गों को भी यह राहत दी जा रही है। वहीं अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, इंडस्ट्री और घरेलू सेक्टर भी शामिल हैं। इन सारी चीजों को मिलाकर 14 हजार करोड़ रुपए तक सब्सिडी पहुंच चुकी है। वहीं पंजाब सरकार की GST कलेक्शन सिर्फ 16,000 करोड़ रुपए है।
क्यों बढ़ रहा पंजाब पर कर्ज
राज्य पर कर्ज बढ़ने के कई कारण हैं। पंजाब में रहने वाले नेता और अधिकारी इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार मानते हैं। वहीं केंद्र के नेता और अधिकारी राज्य को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं। साल 1986 में पंजाब कैश सरप्लस था। राज्यों के बीच पंजाब को केंद्रीय करों की हिस्सेदारी से 2.45 फीसदी हिस्सा मिलता था। जो बाद में धीरे-धीरे कम होता चला गया। वहीं 15वें वित्त आयोग द्वारा इसको 1.72 फीसदी कर दिया। जो 1.38 प्रतिशत तक नीचे गिर गया था। वहीं साल 1982 के बाद से राज्य में शुरू हुए आतंकवाद के कारण सुरक्षा व्यवस्था पर खर्च बढ़ता गया। वहीं केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार पर यह सारा बोझ डाल दिया।
वहीं जब साल 1997 में इंद्र कुमार गुजराल पीएम बने, तब सुरक्षा कर्मियों के कर्ज अदा करने पर उन्होंने रोक लगा दी। इस दौरान तक राज्य 3500 करोड़ रुपए तक अदायगी कर चुका था। इस समय तक आतंकवाद तो काफी हद तक कम हुआ, लेकिन कई उद्योगों ने राज्य से पलायन कर लिया। जिसके कारण आम जनता की आमदनी गिरती गई। यह एक ऐसा मौका था जब पंजाब को राहत मिलनी चाहिए थी। लेकिन एनडीए सरकार ने पहाड़ी राज्यों में इंडस्ट्री लगाने वालों को कर रियायत दिए जाने की घोषणा कर दी।
यह राज्य के लिए बड़े झटके के समान था। क्योंकि पंजाब, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से सटा है। ऐसे में बहुत सारी इंडस्ट्री पंजाब से पलायन कर जम्मू, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड चली गई। इससे होने वाली आमदनी और भी कम हो गई। जब पंजाब में आमदनी कम होने लगी तो कर्ज होने के कारण ब्याज भी बढ़ने लगा।
वहीं साल 2017 में पंजाब को एक और झटका लगा। जब पंजाब सरकार की तरफ से ली जाने वाली कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) के खाते में भारी गड़बड़ी पाई गई। इस वजह से केंद्र सरकार ने पंजाब पर 31 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ डाल दिया। ऐसे में अब पंजाब सरकार को हर साल 3270 करोड़ रुपये की सालान किश्त देनी पड़ रही है। पंजाब को 20 सालों तक यह किश्त देनी है।
ऐसे बढ़ा कर्ज का बोझ
2014-15- 112366 करोड़
2015-16- 128835 करोड़
2016-17- 182526 करोड़
2017-18- 195152 करोड़
2018-19- 211917 करोड़
2019-20- 229354 करोड़
2020-21- 252879 करोड़
2021-22- 282061 करोड़