शिवसेना के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने लोकसभा से महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद इस मामले पर बड़ा बयान दिया है। राउत ने कहा कि उनकी पार्टी ने महिला आरक्षण का समर्थन किया, लेकिन उनका रुख अलग था। राउत ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि महिला आरक्षण की जिम्मेदारी यदि राजनीतिक दलों को दी जाती है, तो ज्यादा बेहतर होता। लेकिन अब कुछ बड़े नेता कभी भी महिला आरक्षण के कारण संसद में नजर नहीं आएंगे। उन्होंने दावा किया कि सरकार इसके लिए कुछ भी कर सकती है।
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अमित शाह ने कहा था कि वायनाड महिलाओं के लिए आरक्षित हो गया। तो आप लोग हम पर आरोप लगाओगे। संजय राउत ने कहा कि वह कुछ भी कर सकते हैं और चुनाव आयोग उनके हाथ में है। संजय राउत ने कहा कि दोनों सदनों के कई नेता अब सदन के लिए दोबारा निर्वाचित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि उन नेताओं को सदन में आने से रोकने के लिए जल्दबाजी में यह बिल लाया गया है। इसमें विपक्षी दल के कई बड़े नेता भी शामिल हैं। ऐसे में इस विधेयक के कारण उन नेताओं को सदन में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
इसके साथ ही संजय राउत ने सवाल उठाते हुए कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं में विधायकों और सांसदों की संख्या बढ़ाने मात्र से ही क्या सशक्तिकरण हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति संसद का संरक्षक है। तो क्या यह महिलाओं का अपमान नहीं कि हमने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सदन के उद्घाटन में नहीं बुलाया। हालांकि संजय राउत ने कनाडा मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की। राउत ने कहा कि यह दो देशों के प्रधानमंत्री का मामला है।