पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए ने सोमवार को 20 फरवरी को होने वाले पंजाब चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर मुहर लगा दी है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जानकारी दी कि 117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब में भाजपा 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जबकि पंजाब लोक कांग्रेस 37 सीटों पर और शिअद-संयुक्त 15 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। आपको बता दें कि भाजपा ने पंजाब लोक कांग्रेस और शिअद-संयुक्त के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और अमरिंदर के साथ चुनावी रणनीति भी तैयार की जा चुकी है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक संवाददाता सम्मेलन में सीटों के बंटवारे की घोषणा करते हुए कहा कि पंजाब को आज विशेष ध्यान देने की जरूरत है। नड्डा ने कहा, "भाजपा 65 सीटों पर, पंजाब लोक कांग्रेस 37 सीटों पर और शिअद-संयुक्त 15 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।" उन्होंने कहा, "पंजाब को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यह चुनाव स्थिरता और सुरक्षा के लिए है। हमारा मकसद पंजाब को पटरी पर लाना है।"
जेपी नड्डा ने कहा, ‘‘पंजाब में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) गठबंधन हुआ है। इसके तहत भाजपा, पंजाब लोक कांग्रेस और शिअद (संयुक्त) मिलकर पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा 65 सीटों पर, पंजाब लोक कांग्रेस 37 सीटों पर और 15 सीटों पर शिअद (संयुक्त) चुनाव लड़ेगी।’’
भाजपा ने शुक्रवार को पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए 34 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। पार्टी की इस सूची में किसान परिवारों के 12 नेताओं, 13 सिखों और आठ दलितों को टिकट दिया गया था। अमरिंदर सिंह भी 22 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर चुके हैं, जिसमें भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान अजितपाल सिंह को नकोदर से प्रत्याशी बनाया गया है। अमरिंदर खुद पटियाला शहर सीट से चुनाव लड़ेंगे।
गौरतलब है कि 2017 के पंजाब चुनाव में कांग्रेस ने कुल 117 सीटों में से 77 पर जीत हासिल की थी। इस जीत ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भाजपा के बीच के तत्कालीन सत्तारूढ़ गठबंधन को केवल 18 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर ला दिया था । आम आदमी पार्टी (आप) दूसरे स्थान पर रही, उसने 20 सीटें जीतीं और पंजाब में आधिकारिक विपक्ष का गठन किया।
हालांकि, तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर व्यापक किसानों के विरोध सहित राज्य में तब से अब तक कई राजनीतिक विकास हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस साल के महत्वपूर्ण चुनावों से पहले गठबंधन और प्रमुख उम्मीदवारों का फेरबदल हुआ है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के अन्य सदस्यों के साथ मतभेदों के कारण पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया था और फिर अपनी खुद की पार्टी बना ली थी। पहले चर्चा थी कि वो भाजपा में शामिल हो सकते हैं लेकिन पंजाब लोक कांग्रेस का गठन कर उन्होंने भाजपा के साथ चुनावी गठबंधन कर लिया था।