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जाखड़ के पत्र से पंजाब कांग्रेस में फिर बढ़ सकता है बवाल, जानिए कारण

By LSChunav | Jul 30, 2021

पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ द्वारा एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लिखे एक पत्र ने पंजाब में पहले से ही आंतरिक अशांति से जूझ रही कांग्रेस के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सुनील जाखड़ ने पत्र लिखकर कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को पार्टी से हटाने की मांग की है।
सुनील जाखड़ के पत्र में क्या लिखा था?
जाखड़ द्वारा लिखे गए पत्र में मांग की गई है कि सोढ़ी को पार्टी से बर्खास्त किया जाए। इस पत्र में पंजाब सरकार द्वारा 1.83 करोड़ रुपये की वसूली के लिए सोढ़ी के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किएजाने की बात भी की गई है। विभाग ने सोढ़ी और उनके परिवार के खिलाफ "राज्य के खिलाफ धोखाधड़ी करने" के लिए आपराधिक कार्रवाई की भी मांग की है।
क्या है 'दोहरे मुआवजे' का मुद्दा?
सोढ़ी की ग्यारह एकड़ जमीन को पीडब्ल्यूडी द्वारा पहली बार 1962 और इसके बाद 2013 में अधिग्रहित किया गया था। इसके लिए उन्हें सरकार से दो बार मुआवजा दिया गया था - एक बार 1962 में और फिर 2014 में। इसके बाद उन्होंने नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत तीसरी बार 77 करोड़ रूपए के  मुआवजे के लिए आवेदन किया। जब यह मामला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने इस मामले की जांच के आदेश दिए। जाखड़ ने अपने पत्र में लिखा है कि सोढ़ी "पिछली अकाली-भाजपा सरकार के समर्थन से तथ्यों को गलत तरीके से पेश करके और छिपाकर" दोहरा मुआवजा पाने में सक्षम थे। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सोढ़ी को नोटिस जारी किया था।
जाखड़ ने पत्र में कहा कि उन्हें डर है कि अगर अदालत ने सोढ़ी के पक्ष में फैसला सुनाया तो इससे कांग्रेस की छवि और उसकी चुनावी संभावनाओं को अपूरणीय क्षति होगी। चूंकि संगरूर और पाटरन क्षेत्र के किसान अपना मुआवजा 40 लाख रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 70 लाख रुपये करने का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनकी जमीन दिल्ली-कटरा राजमार्ग के लिए अधिग्रहित की जा रही है। जबकि मोहन के उत्तर गाँव, जहाँ सोढ़ी की भूमि का अधिग्रहण किया गया था, पीछे की ओर स्थित है। इस गांव में लिंक रोड के साथ कृषि भूमि की वर्तमान कलेक्टर दर 6,72,300 रुपये प्रति एकड़ है। जाखड़ ने अपने पत्र में पूछा कि अगर सोढ़ी को अपनी जमीन के लिए प्रति एकड़ 7 करोड़ रुपये मिलते हैं, तो पंजाब में कौन सा किसान इससे कम राशि पर अपनी जमीन का अधिग्रहण करने के लिए सहमत होगा?
जाखड़ के मुताबिक मुद्दों को सार्वजनिक करने के बाद भी अकालियों ने सोढ़ी का विरोध नहीं किया है। जाखड़ ने इस बात पर भी तंज कसा है और यह भी कहा है कि दोहरे मुआवजे का मामला 2007 से 2017 के बीच हुआ था, जब अकाली सत्ता में थे। जाखड़ ने आरोप लगाया है कि सुखबीर बादल के कहने पर ही पीडब्ल्यूडी ने इस बात को नज़रअंदाज़ किया कि भूमि का अधिग्रहण 1962 में किया गया था और 31 जनवरी 1962 को अधिसूचना भी जारी की गई थी। 
जाखड़ ने यह भी पूछा कि पूर्व की अकाली-भाजपा सरकार सोढ़ी की मदद करने के लिए क्यों आगे आई? जाखड़ ने आरोप लगाया है कि सोढ़ी "अकाली एजेंट" हैं, जिसे कांग्रेस को भीतर से तोड़ने का काम सौंपा गया है। कांग्रेस के सामने हालिया संकट में सोढ़ी सीएम के मुख्य संकटमोचक थे। जाखड़ ने अपने पत्र में इस बात का जिक्र भी किया है कि कैसे बेअदबी मामले के हालिया घटनाक्रम ने सरकार और अकालियों के बीच बदले की भावना के आरोपों को जन्म दिया था। जाखड़ ने डिस्टिलरी का मुद्दा भी उठाया, जिसका लाइसेंस सोढ़ी को 2015 में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान दिया गया था।

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