इस साल 18 सितंबर 204 से जम्मू-कश्मीर विधानसभी चुनाव की शुरुआत हो चुकी है। इस बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कई तरह से अलग हैं। दरअसल, लद्दाख अब अलग केंद्र शासित प्रदेश है, आर्टिकल 370 और 35ए अब इतिहास का हिस्सा है। वहीं, बता दें कि जम्मू-कश्मीर फिलहाल एक पूर्ण राज्य नहीं है। इस बार हजारों लोगों को मतदान करने का मौका मिल रहा है। जो अभी तक जम्मू-कश्मीर चुनाव में एक मूकदर्शक की तरह थे। दरअसल, ये लोग यहां 7 दशकों से बसे हैं, लेकिन अब तक वह किसी चुनाव का हिस्सा नहीं रहा है। ये वे लोग हैं, जो 1947 में भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर बसे थे।
इस बार जम्मू-कश्मीर में कई लोग मतदान करेंगे
गौरतलब है कि आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और कई परिवारों के हजारों लोगों को इस बार मतदान करने का मौका मिल रहा है। पहले इन लोगों को पश्चिम पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी कहा जाता था। पाक-अधिकृत जम्मू-कश्मीर से पलायन करके आए लोगों को नागरिकता तो मिल गई है लेकिन उन्हें राज्य का ही माना गया। वहीं, पाकिस्तान से आए लोगों को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता नहीं मिली। इनको अधिकार मिलने में आर्टिकल 370 की बाधा खड़ी थी। अब यह दूर हो गई है तो ये लोग भी मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।
बीजेपी ने भी नागरिकता के लिए उठाया मुद्दा
जब इन लोगों को नागरिकता न मिलने पर भाजपा ने भी मुद्दा उठाया जाता था। वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी कहे जाने वाले लोगों से ज्यादातर दलित समुदाय के हैं। हालांकि, इन्हें पूरे देश की तरह आरक्षण मिलना भी एक बड़ा मुद्दा था। अब इनकों वोटिंग से लेकर आरक्षण के लिए नई राहें खुल गई है।