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Maharashtra Lok Sabha Elections: महाराष्ट्र में किसकी मुश्किलें बढ़ाएगी AIMIM, जानिए राज्य का सियासी समीकरण

By LSChunav | Apr 05, 2024

महाराष्ट्र में इस बार लोकसभा चुनाव 2024 काफी रोमांचक होने वाला है। यह मुकाबला इसलिए भी रोमांचक होने वाला है, क्योंकि कभी भाजपा के साथ गलबहियां करने वाले उद्धव ठाकरे आज विपक्षी खेमे में हैं। संख्या बल के हिसाब से देखा जाए, तो भाजपा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है। तो वहीं भाजपा की परंपरागत दोस्त रही शिवसेना के साथ धुर विरोधी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी साथ है। इसके अलावा महाराष्ट्र में राज ठाकरे की नवनिर्माण सेना और राष्ट्रीय समाज पक्ष भी एनडीए में शामिल हैं।

आपको बता दें कि भाजपा को टक्कर देने के लिए शिवसेना (UBT) और एनसीपी (शरद पवार) का कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन है। कांग्रेस पार्टी के यह दोनों सहयोगी दल हाल ही में बड़ी टूट का शिकार हो चुके हैं। हांलाकि इस टूट में मूल पार्टियां भाजपा को सपोर्ट कर रही हैं। वहीं  कभी शिवसेना प्रमुख रहे उद्धव ठाकरे और एनसीपी चीफ रहे शरद पवार भी इस लोकसभा चुनाव अपना वजूद साबित करने में जुटे हैं। महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं। ऐसे में राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दल ताबड़तोड़ प्रत्याशियों का ऐलान कर रहे हैं।

राजनीतिक दलों के प्रत्याशी
भाजपा अभी कर 24 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, तो वहीं उद्धव ठाकरे भी 21 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी की तरफ से सिर्फ 7 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया गया है, तो वहीं राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शिवसेना के 8 उम्मीदवार मैदान में उतार चुके हैं। वहीं ओवैसी की पार्टी AIMIM ने एक बार फिर राज्य में अपने इकलौते सांसद इम्तियाज जलील को औरंगाबाद से चुनाव मैदान में उतारा है।

पवार और ठाकरे टूट से हुए कमजोर
उद्धव ठाकरे की पार्टी ने हाईप्रोफाइल सीट कल्याण सीट से वैशाली दारेकर-राणे को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा की तरफ से पीयूष गोयल, नितिन गडकरी और शाहू महाराज छत्रपति व नवनीत राणा शामिल हैं। वहीं इस सीट से सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे सीटिंग सांसद हैं। हांलाकि उनके मुकाबले में वैशाली काफी लो प्रोफाइल उम्मीदवार है। लेकिन अगर आप समीकरणों पर ध्यान दें, तो ठाकरे और पवार की पार्टी में विभाजन होने से यह दोनों दिग्गज नेता काफी कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं। 

बीजेपी गठबंधन को फायदा
ठाकरे और पवार की पार्टी में टूट होने के साथ ही बड़ी संख्या में विधायक और सांसद पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में इस पार्टियों के परंपरागत वोट बैंक भी भाजपा के साथ जा सकता है। इसका फायदा भाजपा और उसके गठबंधन को मिलता दिखाई दे रहा है। 

AIMIM
साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार महाराष्ट्र के चुनावी समीकरण काफी बदले हुए हैं। जहां शिवसेना और एनसीपी दो खेमों में बटी है। जिनमें से एक सत्तारूढ़ है, तो दूसरा विपक्ष की भूमिका में हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में AIMIM की एंट्री से विपक्ष को ज्यादा नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। बता दें कि AIMIM विपक्षी धड़े का हिस्सा नहीं है। ऐसे में ओवैसी अपने कैंडिडेट उतारकर मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ कर सकते हैं।
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