सासाराम का इतिहास बहुत ही गौरवपूर्ण रहा है। शेरशाह सूरी का जन्म स्थान रहा है ये आज भी वहां शेरशाह मकबरा और रोहतास का किला मशहूर है। मां मूण्डेश्वरी का मंदिर भी खूब प्रचलित है। सासाराम की राजनीति पर नजर डालें तो इस क्षेत्र की पहचान बाबू जगजीवन राम से है जो देश के उप प्रधानमंत्री भी रहे। जीवनभर वो जैसे भी रहे जिस पार्टी में भी रहे सासाराम की जनता ने उन्हें कभी हार का स्वाद नहीं चखने दिया। 2014 में भाजपा के छेदी पासवान ने 3 लाख 66 हजार 27 मत के साथ इस सीट पर जीत दर्ज की। वहीं मीरा कुमार को 2 लाख 760 मत हासिल हुए। नंबर तीन पर जदयू के केपी रमैया रहे।
1952 से यह रिजर्व सीट रही है। बाबू जगजीवन राम इस सीट से लगातार सांसद रहे, उन्हें कोई नहीं हरा सका। 1977 में जब देश में इंदिरा गांधी के खिलाफ माहौल चल रहा था तो ऐन वक्त पर जगजीवन राम ने इंदिरा गांधी से विद्रोह करते हुए चुनाव लड़ते हुए जीत दर्ज की। 1989 में भी वो यहां से चुनकर लोकसभा गए। 1989 में उनकी पुत्री मीरा कुमार ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और छेदी पासवान के हाथों पराजित हो गईं....