मध्य प्रदेश की यह लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई। 2009 से पहले यह सीट झाबुआ के नाम से जानी जाती थी। रतलाम लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया का दबदबा रहा है। 2009 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया जीते थे, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया ने हरा दिया।इस चुनाव में दिलीप सिंह भूरिया को 5,45,980 वोट मिले, जबकि कांतिलाल को 4,37,523 वोट मिले थे।
दिलीप सिंह के निधन के बाद यहां पर 2015 में उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने एक बार फिर वापसी की और उन्होंने बीजेपी की निर्मला भूरिया को हराया। निर्मला दिलीप सिंह की बेटी है।
रतलाम लोकसभा सीट को पहले झाबुआ लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था। 2008 में परिसीमन के बाद यह रतलाम लोकसभा सीट हो गई। यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। यहां पर अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या 73.54 फीसदी है, जबकि 4.51 फीसदी की आबादी अनुसूचित जाति की है।
2011 की जनगणना के मुताबिक रतलाम की जनस....