विदर्भ क्षेत्र की यह सीट हमेशा से बहुत खास रही है, क्योंकि यहां के चुनाव परिणाम हमेशा सबको हैरान करते आए हैं। फिलहाल तो यहां बीजेपी का राज है। 2014 के लोकसभी चुनाव में बीजेपी के रामदास तडस यहां से जीते हैं। उन्होंने कांग्रेस के सागर मेघे को एक लाख से भी ज़्यादा वोटों हराया था। इस बार भी यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही टक्कर है।
वर्धा लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। कांग्रेस ने यहां 38 साल से ज्यादा समय तक राज किया है। सबसे पहला चुनाव 1951 में हुआ था और कांग्रेस जीती थी। उसके बाद 1957, 1962, 1967 में कांग्रेस के कमलनयन बजाज लगातार जीते. फिर 1971 में भी इस सीट पर कांग्रेस ही जीती। इस सीट पर तीन दशक से भी ज़्यादा समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा। इस निर्वाचन क्षेत्र के तहत 6 विधानसभा सीट आती है।
धामणगांव रेलवे
मोर्शी
वर्धा
आर्वी
देवली
हिंगणघाट
वर्धा लोकसभी सीट पर 1996 के चुनाव में बीजेपी पहली बार जीती और इसके बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच यहां सीधा मुकाबला हो रहा है। इस सीट पर कभी बीजेपी जीतती है, ....