आणंद लोकसभा के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो इस सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था और कांग्रेस पार्टी के मनीबेन पटेल सांसद बने थे।
1962 और 1967 में कांग्रेस के नरेंद्र सिंह विजयी होते हैं। 1971 के चुनाव में कांग्रेस (ओ) के टिकट पर प्रवीण सिंह सोलंकी यहां से सांसद चुने जाते हैं। 1977 में अजीत सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। 1980 और 1984 में कांग्रेस पार्टी की भावनगर से जीत होती है और ईश्वरभाई चावड़ा सांसद बनते हैं।
1989 के आम चुनाव में भाजपा का इस सीट पर खाता खुलता है और नाटूभाई मनिभाई पटेल ने जीत दर्ज की। साल 1991 से 1998 तक लगातार इस सीट पर तीन बार कांग्रेस के ईश्वरभाई चावड़ा की जीत होती है। 1999 के चुनाव में भाजपा के दीपकभाई पटेल की जीत होती है। 2004 के 2009 के लोकसभा चुनाव में लगातार दो बार भरत सिंह सोलंकी की जीत होती है। आणंद लोकसभा क्षेत्र के अधीन सात विधानसभा सीट आती हैं।
खंभात
बोरसद
आंकलाव
उमरेठ
आणंद
पेटलाद
सोजित्रा
आणंद लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 14 लाख 96 हजार 859 है जिसमें 7 लाख 81 हजार 120 पुरुष व 7 लाख 15 हजार 739 महिला मतदाता शामिल है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 9 लाख 70 हजार 894 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था।
भाजपा के पटेल मितेश रमेशभाई (बकाभाई) ने आणंद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 1,97,718 वोटों के अंतर से कांग्रेस के भरतभाई माधवसिंह सोलंकी को हराया था। पटेल मितेश रमेशभाई (बकाभाई) ने 6,33,097 वोट हासिल किए थे। भाजपा के पटेल मितेश रमेशभाई (बकाभाई) आनंद निर्वाचन क्षेत्र के निवर्तमान सांसद हैं। आणंद लोकसभा क्षेत्र गुजरात के आसपास के क्षेत्र में आता है। अंकलाव, उमरेथ, आणंद, खंभात, पेटलाड, बोरसाद, सोजित्रा विधानसभा क्षेत्र आणंद लोकसभा क्षेत्र में आते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 66.79% मतदान हुआ था। इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 11 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
गुजरात के आणंद क्षेत्र वैसे तो देश की 'मिल्क सिटी' के नाम से मशहूर है। वर्तमान में इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के दिलीपभाई मणिभाई पटेल को 4 लाख 90 हजार 829 वोट हासिल हुए थे वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी 4 लाख 27 हजार 403 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
आणंद लोकसभा के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो इस सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था और कांग्रेस पार्टी के मनीबेन पटेल सांसद बने थे।
1962 और 1967 में कांग्रेस के नरेंद्र सिंह विजयी होते हैं। 1971 के चुनाव में कांग्रेस (ओ) के टिकट पर प्रवीण सिंह सोलंकी यहां से सांसद चुने जाते हैं। 1977 में अजीत सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। 1980 और 1984 में कांग्रेस पार्टी की भावनगर से जीत होती है और ईश्वरभाई चावड़ा सांसद बनते हैं।
1989 के आम चुनाव में भाजपा का इस सीट पर खाता खुलता है और नाटूभाई मनिभाई पटेल ने जीत दर्ज की। साल 1991 से 1998 तक लगातार इस सीट पर तीन बार कांग्रेस के ईश्वरभाई चावड़ा की जीत होती है। 1999 के ....